कोरोना संकट और लॉकडाउन के बाद जहां कारोबार पटरी पर वापस आने के लिए संघर्ष कर रहा है वहीं साइकिल इंडस्ट्री तेजी से रिकवर कर रही है। मई और जून में साइकिल की मांग में 50 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। साइकिल की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि अब साइकिल की दुकानों पर तेजी से स्टॉक खत्म हो रहा है। ऑल इंडिया साइकिल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ACMA) के अनुसार, मांग में तेजी लेकिन सीमित प्रोडक्शन के कारण मैन्यूफैक्चर्स डिमांड को पूरा करने में असमर्थ हैं।
कई वजहों से साइकिल की डिमांड में तेजी देखी गई है
हीरो मोटर्स कंपनी के चेयरमैन पंकज एम मुंजाल ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान कई वजहों से साइकिल की डिमांड में तेजी देखी गई है। कोरोना के डर से लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल से बच रहे हैं। कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट न खुलने की वजह से साइकिल चला रहा है तो कोई इसे जिम का विकल्प मान रहा है और इस सब से ऊपर है कोरोना का डर।
वहीं, एक अन्य साइकिल व्यापारी ने कहा है कि उनकी दुकान में अब बहुत ही कम स्टाॅक बचा है, सारी बिक चुकी हैं। उन्होंने कहा कि हमने सोचा नहीं था कि कोरोना टाइम में साइकिल की डिमांड बढ़ जाएगी।
जून में 8.5 लाख यूनिट्स का उत्पादन किया गया है
एसीएमए के महासचिव केबी ठाकुर ने कहा कि मई में आर्गनाइज्ड सेक्टर के कारोबारियों ने 35 फीसदी वर्कफोर्स के साथ काम करके लगभग 4.5 लाख साइकिल का निर्माण किया है। जून में इंडस्ट्री ने 65% क्षमता का उपयोग करके 8.5 लाख यूनिट्स का उत्पादन किया।
साइकिल निर्माताओं ने सभी कैटेगरी की मांग में वृद्धि देखी है। मेट्रो शहरों में 50% तक की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि प्रीमियम, अर्ध-प्रीमियम और मनोरंजक बाइक कैटेगरी में हुई है। इसका मतलब है कि शहरी ग्राहक ज्यादा साइकिल का उपयोग कर रहे हैं।
फिटनेस टूल के रूप में साइकिल चला रहे हैं लोग
मनोरंजक बाइकिंग में भी एक बड़ा उछाल देखा गया है क्योंकि बहुत से लोग फिटनेस टूल के रूप में साइकिल चला रहे हैं। कोविड महामारी के कारण जिमका बंद होना भी लोगों को साइकिल में निवेश करने के लिए प्रेरित करता है।
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